यकीन जब कभी खुद टूटने लगता है
साथ मेरा ही मुझसे फिर छूटने लगता है
हद से ज्यादा तकलीफ होती है तब
जब अंदर ही अंदर ज़ख्म फूटने लगता है
बहुत रोता है ये दिल चीख चीख कर
कोई अपना मेरा जब मुझे लूटने लगता है
कुछ इस तरह टूटने लगा हूँ मैं आजकल
जैसे शीशा कोई खुद ब खुद टूटने लगता है ।
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